अन्धकार
खुशियों का मंजर था
अचानक लगा जैसे खंजर था
चारों तरफ था हाहाकार
सोचता था मैं ये बारम्बार
कोई सुनता नहीं क्यों किसी की पुकार
मैं करता था उस पल का इंतज़ार
जब मिटेगा जीवन का ये अंधकार
जब मिटेगा जीवन का ये अंधकार।
~शिवम् मिश्रा
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